छत्तीसगढ़: शेल्टर होम में रहने वाली तीन बेघर महिलाओं ने आरोप लगाया है कि वहां काम करने वाले लोगों ने उसके साथ छेड़छाड़ की है. इस आरोप के बाद उस शेल्टर होम को बंद कर दिया गया है.
छत्तीसगढ़ (Chattisgarh) के बिलासपुर (Bilaspur) जिले में एक बेघरों के आवास में रहने वाली तीन महिलाओं ने वहां काम कर रहे तीन कर्मचारियों पर शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है. इन महिलाओं को हाल ही में नारी निकेतन से स्थानांतरित किया गया था.
उज्जवला सेल्टर होम में ठहरी एक 20 साल की महिला ने अपने बयान में कहा कि मैं अपनी 8 महीने की बेटी के पास घर जाने देने के लिए उनसे विनती करती रही. लेकिन वहां मेरे साथ गाली-गलौज और मारपीट की गई.
20 वर्षीय महिला सहित तीन अन्य महिलाओं ने भी आरोप लगाया है कि एनजीओ शिव मंगल शिक्षण समिति के कर्मचारी, जो उज्जवला घर चलाते हैं, ने न केवल महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया है, बल्कि उनका यौन शोषण भी करते हैं. उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि कर्मचारी एक सेक्स रैकेट चला रहे थे.
1 साल में 14.59 लाख रुपये का WCD ग्रांट मिला
उज्जवला महिला और बाल विकास मंत्रालय के तहत केंद्र प्रायोजित आवास योजना ‘संरक्षण और महिलाओं का सशक्तिकरण’ है. शिव मंगल शिक्षा समिति की 2019-20 की ऑडिट रिपोर्ट से पता चलता है कि इसे 1 साल में 14.59 लाख रुपये का डब्ल्यूसीडी अनुदान मिला.
वहीं महिलाओं और उनके परिवारों का कहना है कि उन्होंने इस घटना को लेकर पुलिस से संपर्क किया था लेकिन अधिकारियों द्वारा कथित तौर पर उन्हें धमकी दी गई और उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया. महिलाओं ने कहा कि अज्ञात लोगों के खिलाफ जमानती धाराओं के तहत एक प्राथमिकी दर्ज होने के तीन दिन बाद भी पुलिस ने अभी तक कोई मेडिकल परीक्षण नहीं किया है.
की जाएगी पूरी छानबीन
पुलिस द्वरा की गई लापरवाही के बाद बुधवार को, उन महिलाओं ने बिलासपुर रेंज के आईजी रतन लाल डांगी (Ratan Lal Dangi) को संबोधित करते हुए एक आवेदन दिया. आवेदन में उज्जवला घर के कर्मचारियों द्वारा धमकी के साथ शारीरिक और यौन शोषण के उदाहरणों का उल्लेख किया गया है.
बिलासपुर के पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल (Prashant Aggrawal)ने कहा कि पुलिस इस मामले की छानबीन कर रही है. आरोप गंभीर है इसलिए पुलिस पूरी जांच करेगी. वहीं एक और सरकारी अधिकारी ने बताया कि फिलहाल उस शेल्टर होम को बंद कर दिया गया है और यहां रहने वाली सभी महिलाओं को उनके घरों में या अन्य सरकारी आश्रय स्थलों में भेज दिया गया है.